Wednesday, August 18, 2010

गरीब भारत के अमीर भगवान


भुखमरी के शिकार दुनिया में जितने लोग हैं, उनमें से 50 फीसदी अकेले भारत में हैं।

अब जरा इन्हीं आंकडों के बीच यह हकीकत देखिये कि दुनिया के सबसे अमीर मंदिर भारत में ही हैं।

भारत में 10 लाख से भी ज्यादा मंदिर हैं और इनमें से 100 मंदिर ऐसे हैं, जिनका सालाना चढ़ावा भारत के बजट के कुल योजना व्यय के बराबर होगा



तिरुमाला का वेंकटेश्वर मंदिर ( तिरुपति बालाजी भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर अवतार) इन सब में प्रथम स्थान पे है.

इस मंदिर में रोज करीब 50 हजार से एक लाख लोग आते हैं
नवरात्रि के दिनों में ही 12 से 15 करोड़ रुपये नकद और कई मन सोना चढ़ जाता है। 

बालाजी के मंदिर में इस समय लगभग 50,000 करोड़ रुपये की संपत्ति मौजूद है,
जो भारत के कुल बजट का 50वा हिस्सा है।
तिरुपति के बालाजी दुनिया के सबसे धनी देवता हैं, जिनकी सालाना कमाई 600 करोड़ रुपये से ज्यादा है।

यहा चढावे को इकट्ठा करने और बोरियों में भरने के लिए बाकायदा कर्मचारियों की फौज है।
किसी-किसी दिन तो ऐसा भी होता है कि तीन से चार करोड़ रुपये तक का चढ़ावा चढ़ जाए।
बालाजी के मंदिर में हर साल 350 किलोग्रम से ज्यादा सोना और 500 किलोग्राम से ज्यादा चांदी चढ़ती है


और याद रखिए, यह कोई आज का सिलसिला नहीं है। जब अंग्रेज भारत आए थे तो वह बालाजी मंदिर की शानो-शौकत और चढ़ावा देखकर दंग रह गए थे।

वर्ष 2008-09 का बालाजी मंदिर का बजट 1925 करोड़ था।



भारत के प्रमुख धनी मंदिरों के पास इतना सोना है, जितना सोना शायद आरबीआई के पास भी न हो
अकेले टाप 100 मंदिरों के पास ही 7 अरब अमेरिकी डालर के बराबर का सोना है


केरल का गुरुवयूर मंदिर (भगवान अयप्पा स्वामी),
शिरडी के साई बाबा का मंदिर (सालाना आय 210 करोड़ रुपये),
जम्मू का माता वैष्णो मंदिर (सालाना कमाई 500 करोड़ से ऊपर),
गांधी नगर का अक्षरधाम मंदिर(सालाना आय 50 लाख से 1 करोड़ रुपये),
महाराष्ट्र का सिद्धिविनायक मंदिर (सालाना कमाई 46 करोड़ रुपये),
विशाखापट्टनम का सीमाचल मंदिर,
पुरी का जगन्नाथ मंदिर,
गुवाहाटी का कामाख्या मंदिर,
तमिलनाडु का मुरुगन मंदिर,
वृन्दावन का बांकेबिहारी मंदिर,
उज्जैन का महाकलेश्वेर मंदिर,
भुवनेश्वर का लिंगराज मंदिर,
बनारस का बाबा विश्वनाथ मंदिर,
गुजरात का सोमनाथ मंदिर,
झारखण्ड का बाबा वैधनाथ मंदिर,

कोलकाता का काली मंदिर और
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर ऐसे ही मंदिरों में शामिल हैं।

हिंदू मंदिरों की ही तरह बौधमठों और गुरुद्वारों में भी काफी चढ़ावा चढ़ता है। अमृतसर का स्वर्ण मंदिर और दिल्ली के तीन प्रमुख गुरुद्वारे रकाबगंज, बंगला साहिब और गुरुद्वारा शीशगंज भी चढ़ावे की दृष्टि से बड़े संपन्न गुरुद्वारे हैं।


हालांकि इस्लाम में चढ़ावे का चलन नहीं हैं, इसलिए मस्जिद में चढ़ावे को स्वीकार करने की कोई व्यवस्था नहीं होती, लेकिन अपने को इस्लाम का ही एक हिस्सा मानी जाने वाली मजारों में बड़ी तादाद में हर हफ्ते चढ़ावा चढ़ता है। अजमेर शरीफ और पीराने कलियर देश में चढ़ावे के लिहाज से सबसे संपन्न मजारें हैं।

"विश्व खाद्य कार्यक्रम के मुताबिक दुनिया के आधे भूखे भारत में रहते हैं।

 हर 10 में से 6 हिंदुस्तानी जरूरी नागरिक सुविधाओं से वंचित हैं और गांवों में रहते हैं। जहा आज भी बहुत कुछ भगवान भरोसे ही है



गरीबी रेखा से नीचे का मतलब है 5 लोगों का एक परिवार, जो 45 रुपये से भी कम में पूरे दिन गुजारा करता है।

इस महंगाई में जहा 5 रुपये की चाय और 30 रुपये किलो दूध हो, उस महंगाई के दौर में क्या 5 लोगों का एक परिवार पूरे दिन महज 45 रुपये में गुजर-बसर कर सकता है? जाहिर है वह एक टाइम से ज्यादा समय भूखा रहता है।"

"मंदिरों में भगवान का वास है और देश में इतने मंदिर हैं कि अगर प्रमुख मंदिर ही यह तय कर लें कि वह अपने पास मौजूद धन से दरिद्र नारायण की सेवा करेंगे तो देश में एक भी व्यक्ति भूखा सोने के लिए बाध्य नहीं होगा।"


भारत सरकार को अनिवार्य शिक्षा कानून लागू करने के लिए 30,000 करोड़ रुपये की दरकार है। हालाँकि Common wealth games के लिए सरकार कर्ज ले के भी 30,000 करोड़ लुटा सकती है पर इस देश के नागरिक के पड़ने के लिए नहीं क्योंकि Common wealth games में सरकार से जुड़े सभी लोगों को खाने का मौका मिलेगा पर अगर सब पड़ लिख गए तो फिर कभी कमाने का मौका भी नहीं मिलेगा.


पर अगर तिरुपति के बालाजी ही ठान लें तो किसी दूसरे मंदिर की सहायता की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और फिर शायद हर इंसान आसानी से पड़ लिख जाएगा। माया मोह से छुटकारा दिलाने वाले भगवान और मंदिर अगर अपनी इस माया को मुक्त कर दें तो कोई भी हिंदुस्तानी भूखे सोने, बिना दवाई के मरने और बिना शिक्षा के नहीं रह सकता।

लेकिन, क्या माया मोह से दूर रहने की सीख देने वाले मंदिर और उनके स्वामी खुद माया मोह के बंधन से दूर हैं?



कुल मिलाकर हिंदुस्तान भले गरीब हो, यहा दुनिया के सबसे संपन्न मंदिर, गुरुद्वारे और मजारें हैं। कहा जा सकता है कि भारत वह गरीब देश है, जहा अमीर भगवान बसते हैं



3 comments:

  1. Sabse badi chinta ke baat ye hai ki Bhagwaan kuch logon ke Jageer (Property) bana hua hai duniya main cahe wo kise bhee dhram ka ho...........

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. Gururvayoor me Ayyappa nahi balki Krishna Bhagwan ka pratishta kiya gaya hain.Guru=Teacher, Vayu = Air and Oor = Place.

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